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भरत शर्मा

मेरी, और, आप की …
तीन शब्दों में मैंने जो कुछ भी सीखा हैं
उसका सार क्या हो सकता हैंं
जिन्दगी चलती जायगी…
मुश्किलो का आना जीवनका हिस्सा हैं,
उनमें हँसकर निकल जाना जीने की
कला हैं ।
हर कोई आपसे खुस हैं मान लिजीएँ
आपने जीवन में बहुत से
सम्झौते किये हैं ।
और, यदि आप सबसे खुस हैं तो
ये निश्चित हैं कि
आपने लोगों की बहुत सी
गलतिऔं को नजर अंदाज किया हैं ।
खुसी औंर प्रसन्न वह हैं जो निरन्तर
स्वयं का मूल्यांकन करते हुए
अपनी सुधार करता हैं ।
जबकी दुःखी व्यक्ति वह हैं
जो सिर्फ दूसरों का मूल्याकंन करते हुए
हर समय बुराई, आलोचना एवं निन्दा ईष्या करता हैं ।
हमें क्या करना चाहिए,
ना किसी सें ईष्या ना किसी के होड ।
मेरी आपनी मंजिलें मेरी आपनी दौंड.. ।।
हमारी आँख दुनिया की हर एक चीज देखती हैं
मगर जब आँख के अन्दर कुछ चला जाए तो
उसे कुछ नही देख पाती ।
विल्कुल इसी तरह इन्सार दूसरे को गलती तो देखता हैं
पर अपनी गलती उसे कभी नजर नही आती हैं ।
मुझे लगता हैं कि…
आशा और विश्वास कभी गलत नही होते
बस ये हम पर निर्भर करता हैं कि
हमने आशा किससे की और विश्वास किस पर किया ।
देश में राजनीतिक चल रहा हैं
परन्तु चुनाव से जीता तो नेता होता हैं
चुनाव जीतने के लिए नेताऔं को
जनता को खुश करना पडता हैं ।
मुझे तो यह लगता हैं
राजनीतिक दल
यह देंगे, वह देंगे, हम आपके लिए
कहकर जनताको स्वार्थी, और अन्त में दुखी बना रहे हैं ।
गुरुजन ने कहाँ हैं
संकट के समय सहायता हो
इसलिए हम अधिकोष(बैक) मे धन रखते हैं ।
उसी प्रकार हर संकट के समय
सहायता कि लिए
हमारे पास साधना का धन होना आवश्यक हैं ।
परन्तु हमारी साधना शूल्य हैं
कल गीता जयन्ती पर हमारे साधु, सन्त, महात्मा और ज्ञानी जन सबने कहाँ
कर्म करो, लेकिन फल की आशा छोड कर आगे चलो ।
जिन्दगी चलती जायगी…

(शर्मा त्रिभुवन विश्वविद्यालय हिंदी विभागकेेंं एमएका छात्र हैं ।)

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